समय&समय की बात
मेरे हिसाब से कोई व्यक्ति अच्छा या बुरा उसके काम करने के तरीके और आदतों से होता है । यदि अमुक व्यक्ति आपका कोई काम निकाल दे तो अच्छा है] अन्यथा बुरा । हम लोगों ने कई बार सुना है कि & अरे उस ऑफिस में उस व्यक्ति ने मेरा काम १ मिनिट में कर दिया] बहुत अच्छा आदमी है वो । अगर न करता या तो वही व्यक्ति जिसका काम नहीं हुआ कहता & बहुत ख़राब आदमी है वो] बहुत घूंसखोर है । कभी २ हम अपना काम निकलवाने के चक्कर में इतने उग्र हो जाते हैं कि नकारात्मक सोचने लगते हैं & जैसे उसने ये काम नहीं किया अब देखता हूँ मैं उसे बाहर तो आने दो । अगर कोई गलत काम कर रहा है और आप उसे ऐसा करने से रोक रहे हैं तो उस गलत आदमी के लिए आप गलत हो गए । इसके लिए आपको जान & माल दौनों गंवाने पड़ सकते हैं] इसके उदहारण आपको रोज समाचारों में आर टी आई कार्यकर्ता या ईमानदार अधिकारी कि हत्या के रूप में या अमुक व्यक्ति ने उस लड़की पर तेजाब फेंक दिया या उसने उसको जमीन या पैसे के चक्कर में मार डाला के रूप में देखने & सुनने को मिल जाते हैं । ये तो सरासर गलत है । यदि कोई आपके मन की कर दे तो अच्छा है] नहीं तो बुरा । भाई ये कहा तक सही है । जरूरी नहीं है कि हमेशा कोई आदमी आपको अच्छा लगे या बुरा । सब समय & समय की बात है । जैसे सूरज कि धूप हमेशा अच्छी नहीं लगती । सर्दियों में लोग धूप सेंकते हैं और गर्मियों में धूप से दूर भागते हैं] जबकि धूप तो वही है । कहा भी है &
बन्दै मति] बन्दै मति निन्दनु पड़ेगो । निन्दे मति] निन्दे मति बन्दनु पड़ेगो ॥
अर्थात
किसी की इतनी बन्दना या बड़ाई न करें ] नहीं तो एक दिन वो आयेगा जब आप उसकी निन्दा कर रहे होंगे या किसी कि इतनी निन्दा भी न करें नहीं तो एक दिन वो आयेगा जब आप उसकी बन्दना कर रहे होंगे । इसलिए हमेशा अपने को दूसरों के प्रति सम रखो । आप देखते ही हो कि कभी अमरसिंह और मुलायम सिंह एक थे] और आज़ देख लो । वैसे किसी की निन्दा नहीं करनी चाहिए । क्योंकि आप जिसकी निन्दा कर रहे हो वो उस व्यक्ति तक जरूर पहुँच जाती है जिसकी आप निन्दा कर रहे थे । किसी की निन्दा करके आप उस व्यक्ति जिसके सामने आप कह रहे हैं] बस आप उसकी सहानुभूति पाना चाहते हैं और कुछ नहीं । सब कुछ यहीं छोड़ कर जाना है तो किसी से बेईमानी क्या करना । सब कुछ तो यहीं रह जाना है । इसलिए सबसे बनाकर रहो न कि दुश्मनी निभाकर । अगर कोई आपको कोई नहीं समझता] तो उससे बात करना छोड़ दो । क्योंकि एक चुप सौ लोगों को शांत करा सकता है । लेकिन शोषण होने पर चुप भी न रहें ।
मेरे हिसाब से कोई व्यक्ति अच्छा या बुरा उसके काम करने के तरीके और आदतों से होता है । यदि अमुक व्यक्ति आपका कोई काम निकाल दे तो अच्छा है] अन्यथा बुरा । हम लोगों ने कई बार सुना है कि & अरे उस ऑफिस में उस व्यक्ति ने मेरा काम १ मिनिट में कर दिया] बहुत अच्छा आदमी है वो । अगर न करता या तो वही व्यक्ति जिसका काम नहीं हुआ कहता & बहुत ख़राब आदमी है वो] बहुत घूंसखोर है । कभी २ हम अपना काम निकलवाने के चक्कर में इतने उग्र हो जाते हैं कि नकारात्मक सोचने लगते हैं & जैसे उसने ये काम नहीं किया अब देखता हूँ मैं उसे बाहर तो आने दो । अगर कोई गलत काम कर रहा है और आप उसे ऐसा करने से रोक रहे हैं तो उस गलत आदमी के लिए आप गलत हो गए । इसके लिए आपको जान & माल दौनों गंवाने पड़ सकते हैं] इसके उदहारण आपको रोज समाचारों में आर टी आई कार्यकर्ता या ईमानदार अधिकारी कि हत्या के रूप में या अमुक व्यक्ति ने उस लड़की पर तेजाब फेंक दिया या उसने उसको जमीन या पैसे के चक्कर में मार डाला के रूप में देखने & सुनने को मिल जाते हैं । ये तो सरासर गलत है । यदि कोई आपके मन की कर दे तो अच्छा है] नहीं तो बुरा । भाई ये कहा तक सही है । जरूरी नहीं है कि हमेशा कोई आदमी आपको अच्छा लगे या बुरा । सब समय & समय की बात है । जैसे सूरज कि धूप हमेशा अच्छी नहीं लगती । सर्दियों में लोग धूप सेंकते हैं और गर्मियों में धूप से दूर भागते हैं] जबकि धूप तो वही है । कहा भी है &
बन्दै मति] बन्दै मति निन्दनु पड़ेगो । निन्दे मति] निन्दे मति बन्दनु पड़ेगो ॥
अर्थात
किसी की इतनी बन्दना या बड़ाई न करें ] नहीं तो एक दिन वो आयेगा जब आप उसकी निन्दा कर रहे होंगे या किसी कि इतनी निन्दा भी न करें नहीं तो एक दिन वो आयेगा जब आप उसकी बन्दना कर रहे होंगे । इसलिए हमेशा अपने को दूसरों के प्रति सम रखो । आप देखते ही हो कि कभी अमरसिंह और मुलायम सिंह एक थे] और आज़ देख लो । वैसे किसी की निन्दा नहीं करनी चाहिए । क्योंकि आप जिसकी निन्दा कर रहे हो वो उस व्यक्ति तक जरूर पहुँच जाती है जिसकी आप निन्दा कर रहे थे । किसी की निन्दा करके आप उस व्यक्ति जिसके सामने आप कह रहे हैं] बस आप उसकी सहानुभूति पाना चाहते हैं और कुछ नहीं । सब कुछ यहीं छोड़ कर जाना है तो किसी से बेईमानी क्या करना । सब कुछ तो यहीं रह जाना है । इसलिए सबसे बनाकर रहो न कि दुश्मनी निभाकर । अगर कोई आपको कोई नहीं समझता] तो उससे बात करना छोड़ दो । क्योंकि एक चुप सौ लोगों को शांत करा सकता है । लेकिन शोषण होने पर चुप भी न रहें ।
पंकज कुलश्रेष्ठ
3 comments:
Great blog...I really appreciate you for such informative and knowledgeable blog!!!!!! Thanks for the post...
Thanks Deepak!!!!!!!
I appreciate your thought..
Post a Comment